11025 / 11026 भुसावल पुणे भुसावल हुतात्मा एक्सप्रेस लगातार 26 जुलाई से अपने निर्धारित मार्ग से भटकाकर दूसरे अन्य मार्ग से भुसावल और पुणे के बीच चलाई जा रही है। हालाँकि बीच बीच मे उसे एखाद, दो दिन, या कुछ दिन के लिए फिरसे अपने मार्ग पर चला लेते है, लेकिन फिर से वहीं ढाक के तीन पात। गाड़ी वही अहमदनगर दौंड होकर चलना शुरू हो जाती है। हर 15 दिन में एक नो(नॉ)टीफ़िकेशन आ जाता है, की गाड़ी अपने निर्धारित मार्ग के एवज दूसरे मार्ग से चलेगी। आखिर इस गाड़ी का निर्धारित मार्ग से चलाने में क्या विवाद या कठिनाई है इसके लिए हमने इस गाड़ी की हिस्ट्री खंगालनी शुरू की।
पुणे भुसावल पुणे यह गाड़ी चार रुट पर चलकर अपना मार्ग बनाती है। पुणे मुम्बई मेन लाइनपर कर्जत तक, कर्जत से पनवेल उपमार्ग पर, पनवेल से कल्याण उपमार्ग पर और कल्याण से भुसावल मनमाड़ होते हुए फिरसे मेन लाइनपर चलती है। इन चारों मार्गोंमेसे सिर्फ मनमाड़ से भुसावल पर फिलहाल यह गाड़ी चलाई जा रही है। बाकी सभी मार्गोंपर याने पुणे – कर्जत, कर्जत – पनवेल, पनवेल – कल्याण और कल्याण – मनमाड़ के बीच ढेरों गाड़ियाँ चल रही है। फिर इसी गाडीसे रेल प्रशासन को क्या दिक्कत है?
दरअसल पुणे भुसावल पुणे एक्सप्रेस 31 मार्च 2008 को घोषित हुई तो वह एक पुणे और नाशिक के बीच चलने वाली डेडिकेटेड ट्रेन थी याने खास नासिक वासियोंके लिए शुरू की गई गाड़ी। अब नासिक में किसी गाड़ी के लिए टर्मिनल बनाना मध्य रेलवे के मुख्य, मुम्बई भुसावल मार्ग के लिए परेशानी भरा था। गाड़ी लाना, 60 से 90 मिनिट उसे खड़ी रखना, उसका सेकेंडरी मेंटेनेन्स करना, लोको की शंटिंग करना ढेर सारी दिक्कतें। इसमें से मार्ग निकला की गाड़ी को मनमाड़ में टर्मिनेट किया जाए। मनमाड़ में सारी व्यवस्थाएं, याने मेंटेनेन्स स्टाफ़, गाड़ी रखने के लिए जगह सब कुछ। जुलाई 2008 से एक सेपरेट रेक के साथ उसे सोलापुर पुणे के बीच चलनेवाली हुतात्मा एक्सप्रेस से लिंक किया गया और गाड़ी मनमाड़ – पुणे – सोलापुर ऐसे चलने लगी। सोलापुर पुणे और मनमाड़ पुणे दोनोंही गाड़ियाँ इन्टरसिटी एक्सप्रेस गाड़ियाँ थी। इन्टरसिटी ट्रेन का मतलब एक ही दिन में अपना फेरा पूरा करनेवाली, केवल सिटिंग व्यवस्थावाली गाड़ी।



इस तरह पुणे नासिक डेडिकेटेड ट्रेन मनमाड़ तक आने लगी। मनमाड़ बड़ा जंक्शन तो है, लेकिन उसकी भी कुछ सीमाएं है, वहां पर भी इस गाड़ी को रखने में दिक्कतें होने लगी, दूसरा गाड़ी में पानी भरने की भी परेशानी थी। इधर भुसावल, जलगाँव के यात्रिओंका मुम्बई, पुणे के लिए गाड़ी की मांग का दबाव था और यह गाड़ी दोनोंही माँग की पूर्तता एकसाथ कर दे रही थी। फिर से इस गाड़ी का विस्तार किया गया और 01 जुलाई 2012 को 1025/1026 पुणे मनमाड़ पुणे एक्सप्रेस भुसावल तक विस्तारित की गई। नासिक, मनमाड़ के यात्रिओंकी इस विस्तार से भारी नाराजगी थी, जिसे नई मुम्बई मनमाड़ राज्यरानी चलवा कर शांत कराया गया।
पुणे भुसावल हुतात्मा एक्सप्रेस मनमाड़ से विस्तारित होने के बाद जलगाँव जिले के लिए, कल्याण, डोम्बिवली, पनवेल, मुम्बई, चिंचवड़, पुणे आनेजानेवालोंकी लोकप्रिय गाड़ी बन गयी। गाड़ी में स्लिपर डिब्बा भी जुड़ गया, गाड़ी अगस्त 2019 से, LHB रेकसे भी सज्जित हो गयी।
यह तो हो गयी पुणे से नासिक, फिर मनमाड़, फिर भुसावल हुतात्मा एक्सप्रेस की हिस्ट्री, अब हम नासिकवासियोंकी विपदा देखते है। नासिक वालोंकी हुतात्मा एक्सप्रेस विस्तरित हो कर भुसावल चली गई, उसके बदले में उन्हे राज्यरानी एक्सप्रेस मिली थी वह भी अभी अभी नान्देड विस्तरित हो गयी। याने दोनोंही गाड़ियाँ लम्बी दूर की चलनेवाली गाड़ियाँ हो गयी।विस्तरित होकर भी गाड़ियाँ नासिक होकर गुजरती तो थी, लेकिन रेल प्रशासन ने हुतात्मा एक्सप्रेस को लेकर उनके साथ, जुलाई 2019 से लगातार कभी हाँ तो कभी ना वाला खिलवाड किया है। यात्री बेचारे रोज सोचते है, यह गाड़ी कौनसे रूट से जांएगी?
सुदूर मुम्बई और दिल्ली में बैठे रेल के प्रशासनिक अधिकारियोंको केवल यही दिख रहा है की गाड़ी पुणे से भुसावल के बीच बराबर चल रही है लेकिन वे यह नही देख रहे है की गाड़ी डाईवर्ट होकर, बीच के नासिक, कल्याण, पनवेल जैसे बड़े महत्व के स्टेशन्स स्किप करके जा रही है। हालात यह है निर्धारित मार्ग से डाईवर्ट होने से उस मार्ग के टिकट बुक नही हो पाते और डाइवेर्टेड मार्ग के स्टेशनों जैसे कोपरगाँव, बेलापुर, अहमदनगर और दौंड पर गाड़ी रुकती है लेकिन इनके भी टिकट की बुकिंग डायवर्ट रूट के चलते नही होती।
कुल मिलाकर सारी ऐसी परेशानी है।
पता नही शायद कब 11025 / 11026 पुणे भुसावल पुणे एक्सप्रेस अपने निर्धारित मार्ग से चले या भारतीय रेल के मध्य रेलवे में रिकॉर्ड बनाए की सबसे ज्यादा दिन डाइवर्ट होकर चलने वाली गाड़ी।
फोटो : रेलदुनिया अप्रेल 2008, जुलाई 2008 के अंक