महामारी और श्रमिकोंका शहरोंको छोड़ कर गाँवोंकी तरफ लौटना इस संक्रमण काल की सबसे बड़ी दिलोंको झझकोर कर रख देने वाली घटना थी, जिसे कोई भुला नही सकता। मई से लेकर अगस्त तक हमने अखबारोंमें, चैनलोंपर श्रमिकोंकी ऐसी तस्वीरें देखी है, महामार्गोंपर मिले जिस वाहनसे तो कभी पैदल यात्रा करनेवाले कई परिवार हमने देखे है। इस विपदा की घड़ी में जिस तरह सीमापर सैनिक डटे रहते है, अस्पतालों में डॉक्टर, नर्सेस, सफाई कर्मचारियोंके दल, सडकोंपर पुलिस स्टेशनोंपर पुलिस मुस्तैदीसे अपनी सेवा देते रहे ठीक उसी तरह रेलवे भी अपने आवश्यक कर्मचारियोंके साथ अपना फर्ज़ निभा रही थी।
करीबन 64 लाख श्रमिक अपने परिवार सहित भारतीय रेलवे की श्रमिक विशेष गाड़ियोंमे अपने घर, गाँव लौटे है। रास्ते मे आवश्यक खाना, नाश्ता, पानी और वैद्यकीय सेवा भी रेल प्रशासन ने उपलब्ध कराई। आज कुछ ग्राफिक्स और आंकड़ोंके जरिए हम इन श्रमिक गाड़ियों और उनमें यात्रा करनेवाले यात्रिओंका लेखाजोखा लेते है।



ग्राफिक्स : हिंदुस्तान बिजनेस लाइन डॉट कॉम एवं रेलपोस्ट के सौजन्यता से
Nice Information
LikeLike
Thanks
LikeLike