कुछ बातें है, नही बोली जा सकती है। कैसे बोले, किसे बताए और क्या क्या बताए? रतलाम – इन्दौर – महू – सनावद – खण्डवा – आकोट – अकोला इस खंड के गेज कन्वर्शन की जब जब बात निकलती है, ऐसी ही पीड़ा उभरती है।
उपरोक्त खण्ड में गेज कन्वर्शन का काम सिर्फ महू से सनावद और खण्डवा से आकोट का ही रह गया है। उसमें भी खण्डवा से आकोट में वन विभाग का अड़ंगा लग चुका है। वहीं महू – सनावद के बीच का जो गेज कन्वर्शन फण्ड की कमी, मार्ग में बदलाव, भूमि अधिग्रहण आदी प्रश्नोंमें अधर में लटकते दिखाई दे रहा है। पता नही शायद इस लम्बे दिखाई देते अंतराल के चलते ओंकारेश्वर से महू के बीच मीटर गेज का एक फेरा शुरू करवा दिया गया हो?
अब हम फिर से मुद्दे की ओर आते है। हाल ही में महू – सनावद गेज कन्वर्शन के लिए 250 करोड़ रुपए का निधि आबंटित हुवा था, जिसे 85 करोड़ रुपये अतिरिक्त निधि और प्राप्त हुवा। क्षेत्र की जनता आनन्दित हो गयी की निधि की तो कमी नही पड़ेगी, और जो पड़ी भी तो सांसद महोदय और बढ़वाकर ला सकते है। मगर आज इन्दौर सांसद ने रेल मन्त्री से एक पत्र लिखा है, विनंतीपूर्वक कहा है, उपलब्ध निधि से 100 करोड़ का निधि इन्दौर क्षेत्र के टिहि – धार खण्ड के प्रोजेक्ट पर मोड़ दे। अब बताइए, किस तरह महू – सनावद की नैय्या पार लगेगी?
बरसोंसे बड़ी लाइन की, लम्बी दूरी की गाड़ियोंकी राह जोत रही जनता को समझ ही नही आ रहा की क्षेत्र के नेता गण आखिर चाहते क्या है? राजस्थान से दक्षिण की ओर जाने वाली गाड़ियाँ पुराने मीनाक्षी मार्ग से चले या इन्दौर से भुसावल होते हुए मुम्बई, पुणे कम दूरी से, तेज गति से गाड़ियाँ चले, इन्दौर – खण्डवा फिर से रेल सम्पर्क से जुड़ जाए क्या यह हकीकत को धरातल पर उतरने देना ही नही चाहते?
अब तक क्षेत्र की जनता को अपने नेता गण पर पूरा विश्वास था मगर आज के पत्र को देख कर वह असमंजस में है, क्या महू – सनावद बड़ी लाइन होगी या नही और होगी तो कब? पीछे एक सभा मे पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्राताई ने खेद जताकर कहा था , मेरे जीवन मे इस लाइनपर गाड़ी चलती देख पाऊंगी या नही? शायद यही बात क्षेत्र के जनता के भी मन मे घूम कर घर करती जा रही है।

