कल भारतीय रेल के 01 अक्तूबर से यात्री गाड़ियोंमे समयसारणी के 19145 बदलावों की 399 पृष्ठ की एकत्रित सूची मीडिया पर दी गयी। पृष्ठ और गाड़ी संख्या देख कर चकराने की जरूरत नही। आप जो भी खोजना चाहते है, पीडीएफ के सर्च इंजिन को काम पर लगा कर खोज सकते है।
विषय वह नही है, इन पृष्ठों में कई नए स्टोपेजेस, जो पहले थे और शून्याधारित समयसारणी के चलते रद्द कर दिए गए थे, वह लगभग लगभग सारे मौजूद है। यानी यात्री क्या समझे, यह स्टोपेजेस फिर से बहाल होने जा रहे है? मगर रेलवे की अधिकृत वेबसाइट पर तो दिखाई नही दे रहे है और ना ही टिकट बुकिंग की आईआरसीटीसी की वेबसाइट उन्हें दर्शा रही है, तो फिर क्या समझना चाहिए?
मित्रों ऐसे तकरीबन 400 से ज्यादा स्टोपेजेस है, जो पूर्व में 00:00 दर्शाए गए है और नए बदलाव के स्तंभ में वहांपर समय दिया गया है। आप पीडीएफ के सर्च इंजिन में “00:00” ऐसे सर्च देकर यह चीज देख सकते है। चूँकि यह बदलाव 01 अक्तूबर 2021 से लागू हो चुके है, तो यह घोषित स्टोपेजेस के लिये यात्रिओंको दोबारा संघर्ष करना होगा?
एक बात और है, पश्चिम रेलवे ने अपने क्षेत्र की 38 गाड़ियोंके परिचालन में बढ़ोतरी कर के उन्हें मेल/एक्सप्रेस से सुपरफास्ट की श्रेणी में तुरन्त प्रभाव से बदल दिया। इसका परिपत्रक जारी किया, साथ ही रेल बोर्ड के आदेश क्रमांक सहित पत्र को भी जोड़ा गया। अब हुवाँ यूँ की यह गाड़ियाँ जिन क्षेत्रोंसे गुजर रही थी, या पहुंचने वाली थी, उन क्षेत्रीय रेलवे ने यह दोनों परिपत्र को जोड़ कर याने उनके नए गाड़ी क्रमांक भी उनके सुपरफास्ट होते ही, तुरन्त प्रभाव से लागू हो जाएंगे ऐसे परिपत्र निकाल दिए। यह सरासर ‘मिसइंटरप्रीटेट” याने परिपत्रक की गलत व्याख्या करने वाला विषय हो गया।
जब की पश्चिम रेलवे का अर्थ केवल इतना ही था की उक्त 38 गाड़ियोंको तुरन्त प्रभाव से सुपरफास्ट श्रेणी लागू होगी मतलब सुपरफास्ट के किराए लगेंगे न की उनके गाड़ी क्रमांक तुरन्त प्रभाव से बदलेंगे। अब साथ मे जब गाड़ियाँ नियमित हो जाएगी तब उनके गाड़ी क्रमांक यह रहेंगे ऐसा परिपत्रक होने के कारण न सिर्फ अन्य क्षेत्रीय रेलवे बल्कि कई सारे अखबारोंने भी हेडलाइन्स लगा कर ” सारी गाड़ियाँ नियमित नम्बर्स से चलेगी” ऐसी खबरे छपवा दी।
चलिए, आप को वह परिपत्रक दिखा देते है,




