तारक मेहता का उल्टा चश्मा, वागळे की दुनिया जैसे विशुद्ध फैमिली मनोरंजन वाले टीवी सीरियल देखनेवाले हम लोग जब अखबारोंकी हेडलाइन में रेल किरायोंमे वृद्धि की खबर देख लेते है तो बैचेन हो जाते है। उसमें भी सीधीसादी किरायसूची में अलग से जोड़कर लाये जानेवाले ‘आईटम्स’ हो तो दिल की धड़कनें तेज और जेब के बटुए पर डाका जैसी कल्पना मन को घेरने लगती है। जब जब ऐसी दरवृद्धि वाली गंभीर समस्या सामने आती है तो हमे हमारे चाचा तोलारम जी के नुस्खे की याद आ जाती है। चचा तोलाराम उस बला का नाम है, जो चुने को भी चुना रंग दे। आज की दिनचर्या मे चचा तोलारामसे चाय के साथ SDF पे तोड़ निकालने वाली चर्चा का समय भी जोड़ा गया। चर्चा तो बड़ी धांसू होगी यह पता था मगर पहले क्यों न हम इस SDF को विस्तार से समझ ले?
जब से रेल बजट में रुपये, दो रुपए की वृद्धि को सत्ताविहीन राजनेताओं ने होहल्ला कर रोकना चालू किया तब से सत्ताधारियोंने रेल बजट सुनाना भी बन्द कर दिया और किराए में बढ़ोतरी करने के विविध रास्ते खोज लिए। किराया सूची के अलावा लगने वाले अनाकलनीय सुपरफास्ट चार्ज, 11 घंटे और 4 स्टोपेजेस में मुम्बई से नागपुर जानेवाली दुरंतो भी सुपरफास्ट और 15 घण्टे / 25 स्टोपेजेस वाली सेवाग्राम भी सुपरफास्ट, आरक्षित कोच में आरक्षण शुल्क देकर, भले ही आप ने अपनी जगह रोकी हो मगर ‘स्टाफ़’, स्टूडेंट्स, डेली अपडाउनर, हर स्टेशनपर चढ़कर अगले स्टेशनतक आपका साथ शिद्दतसे निभाते है। यह अगला स्टेशन आपकी यात्रा के साथ शुरू होकर आपकी रेल यात्रा के गंतव्य स्टेशनतक चलते ही रहता है। तत्काल चार्ज, प्रीमियम तत्काल चार्ज, कैटरिंग चार्ज, बेड रोल चार्ज के अलावा एक नया चार्ज भी किराया सूची के अतिरिक्त जुड़ने जा रहा है। वह है, SDF अर्थात स्टेशन डेवलपमेंट फ़ीस, स्टेशन विकास शुल्क।
यह स्टेशन विकास शुल्क प्रत्येक उस यात्री को चुकाना होगा जो रेल्वे के सूचीबद्ध विकसित / पुनर्विकसित स्टेशन से अपनी रेल यात्रा शुरू कर रहा है, उस स्टेशन पर यात्रा समाप्त कर रहा है, या उस स्टेशनपर किसी नातेदार को रेलगाड़ीमे बैठाने/ उतारने या मिलने जा रहा है। अनारक्षित टिकट धारक को 10/- रुपये, गैरवातानुकूल आरक्षित टिकटधारक को 25/- रुपये और वातानुकूल आरक्षित टिकटधारक को 50/- रुपये प्रति यात्री चुकाने होंगे। जो व्यक्ति ऐसे स्टेशनोंपर प्लेटफ़ॉर्म टिकट निकालकर प्लेटफ़ॉर्म पर जाएगा उसे भी प्लेटफ़ॉर्म टिकट शुल्क से अतिरिक्त 10/- रुपये SDF देना है। और यह सारा स्टेशन विकास शुल्क बच्चे, बूढ़े, दिव्यांग, अन्य रियायती टिकटधारकों पूर्ण रूपमे बिना किसी रियायत के चुकाना होगा। SDF मे उसकी खुद की रियायते है। जो व्यक्ति केवल SDF स्टेशन का यात्रा समाप्ति पर उपयोग करेगा उसे 50% शुल्क चुकाना होगा और जिस यात्री के दोनों ही स्टेशन SDF वाले हो उसे कुल SDF के 75% मतलब एक SDF शुल्क का डेढ़ गुना शुल्क चुकाना होगा।
तो हम पहुँच गए चचा तोलाराम जी के घर, राम-रमाई और आपात मीटिंग की संकल्पना निपटने के बाद चचा शुरू हुए। देख भई, जो सुविधा का इस्तमाल करेगा वह तो दाम चुकाएगा जरूर, वैसे भी शॉर्ट डिस्टेन्स के यात्रिओंके लिए यह ज्यादा परेशानी भरा होगा क्योंकि टिकट के अनुपात में SDF की शेयरिंग तकरीबन 10 से 15 प्रतिशत आ सकती है। लेकिन इस SDF के साथ खेला जा सकता है। हमारे रेल्वे मे कई ऐसी सुपरफास्ट और मेल/एक्स्प्रेस गाडियाँ है जो बड़े जंक्शन स्टेशन के आगे पीछे वाले छोटे सैटेलाइट स्टेशनपर भी स्टोपेज लेती है। मान लीजिए की रानी कमलापति स्टेशन पर SDF लगेगा तो गाड़ी भोपाल भी तो रुकती होगी? नागपूर के दाएबाये अजनी और इतवारी या कामठी स्टेशन है, चेन्नई इगमोर से आगे तांबाराम या चेन्नई सेंट्रल के पास का पेरांबूर स्टेशन, बेंगालुरु के पास बेंगालुरु कैंट ऐसे कई स्टेशन है। ऐसे में मुख्य स्टेशन के आगे के सैटेलाइट स्टेशन की गंतव्य / आरम्भ टिकट लेकर यात्री मुख्य स्टेशनपर उतर जाए या बोर्ड करे तो क्या होगा? 400/500 किलोमीटर की टिकट मे टेलेसकोपिक किरायोंकी वजह से 5 -25 किलोमीटर ज्यादा भी रहा तो किराया बढ़ता नहीं है और आप SDF का शुल्क बचा लोगे। अब रेल प्रशासन इन सैटेलाइट स्टेशनोके टिकटोंपर भी SDF अधिभार लगा दे तो बात और है।
उदाहरण के लिए नागपुर स्टेशन लीजिए। 12106 विदर्भ एक्सप्रेस का कामठी से टिकट लीजिए और नागपुर में गाड़ी में चढ़िए टिकट में बिना बोर्डिंग चेंज करें या नागपुर उतरना हो तो 12105 मे कामठी का टिकट ले और नागपुर में गाड़ी छोड़ दे तो क्या होगा? ग्रैन्ड ट्रंक एक्स्प्रेस मे रानी कमलापति स्टेशन की जगह टिकट खरीदने के लिए भोपाल का उपयोग, चेन्नई की जगह तंबाराम या पैरंबुर उसी तर्ज पर बंगालुरु, जयपुर, पुणे इत्यादि स्टेशन आप देख सकते हो। मगर सबसे बड़ी बात यह है, एंड टू एंड चलनेवाली गाड़ी और वैसे ही यात्री हो तो भाया SDF तो लागणों ई लागणों है। 😄
कुल मिलाकर चर्चा का सार यह निकल आया की यह विकास शुल्क यात्रीओंपर भारी पड़नेवाला है, इससे अच्छा तो यह होता की रेल विभाग अपने किरायसूची को ही सुधार लेती न ही स्टेशन के विकास की तोलमोल होती न ही किराए की तोड-मरोड करने की कवायद।