12839/40 हावड़ा चेन्नई हावड़ा मेल और 12841/42 शालीमार चेन्नई शालीमार कोरोमण्डल सूपरफास्ट एक्सप्रेस चलाने में कुल छह रेक लगते है और इन दोनों गाड़ियोंका रैक शेयरिंग है। इन छह ICF रैक में से दो रैक जुलाई के पहले सप्ताह में अत्याधुनिक LHB में निम्नलिखित कार्यक्रम अनुसार बदले जा रहे है।

मगर मित्रों, खबर जो हम बताना चाह रहे है वह दरअसल अलग है। आप परिपत्रक का निम्नलिखित (B) पार्ट देखिए,

इस भाग में इन गाड़ियोंके रैक को मानकीकरण करने की बात की गई है। इन दोनों गाड़ियोंके रैक का मानकीकरण अक्तूबर के पहले सप्ताह से होगा। इस मानकीकरण में द्वितीय श्रेणी स्लीपर के कोच 11 की जगह केवल 5 रह जाएंगे, वहीं वातानुकूलित थ्री टियर के कोच 3 की जगह 9 हो रहे है।
मित्रों, रेल प्रशासन जिस तरह कम किरायोंके सारे टिकट धीरे धीरे बन्द या कम करते जा रहा है, क्या लम्बी दुरियोंकी गाड़ियोंसे स्लीपर, द्वितीय श्रेणी भी खत्म कर देगा? पहले ही रेल मन्त्री जाहिर सम्भाषण में कह चुके है, रेलवे अपने यात्री किरायोंमे 57% ही परिचालन खर्च वसूलती है और 43% नुकसान सहती है। इसके चलते संक्रमण काल की बन्द गाड़ियाँ शुरू होने के बाद आज तक भी सवारी गाड़ियाँ नही चल पाई है और ना ही वरिष्ठ नागरीक रियायत पुनः शुरु होने के कोई आसार दिखाई दे रहे है।
रेल विभाग के एक बड़े अधिकारी ने ‘ऑफ दी रिकॉर्ड’ कहा है, वरिष्ठ नागरिक रियायत, सवारी गाड़ियोंके किराये अब शायद ही देखने मिलेंगे। फिलहाल रेलवे 4 प्रकार के दिव्यांग और 11 प्रकार के मरीज एवं विद्यार्थी किराया रियायत दे रहे है।
एक तरफ सामान्य यात्रिओंकी रियायतें भारतीय रेलवे खत्म किये जा रहा है तो दूसरी तरफ मानकीकरण के नाम पर साधारण या सस्ते किरायोंकी श्रेणियोंके कोचेस कम हो रहे है। सर्वसाधारण यात्री बेचारा करें तो क्या करें?