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भारतीय रेल और उस के ज्ञानी, धनी ‘यूट्यूबर’

28 जुलाई 2023, शुक्रवार, अधिक श्रावण, शुक्ल पक्ष, दशमी, विक्रम संवत 2080

भारतीय रेल को देश की नैशनल करियर अर्थात जनता जनार्दन की यातायात का साधन माना जाता है। लेकिन इस 4G, 5G की ‘अनलिमिटेड’ उपलब्धतता के चलते भारतीय रेल देश के बेरोजगार युवाओं के रोजगार का भी साधन बन गयी है। कैसे? चलिए बताते है,

एक साधारण गणना में, देश मे लगभग 90 करोड़ स्मार्ट फोन धारक है। इन फोन्स के जरिए कुछ युवा ‘यू ट्यूब’, इंस्टाग्राम, फेसबुक रिल्स बनाकर उसे अपलोड करते है। अमूमन 3 मिनट की वीडियो को 5000 व्ह्यू मिले तो 1$ की आमदानी होती है, इस तरह मोटामोटी हिसाब है। ऐसे कोई अपना ज्ञान, समझ और सूझबूझ के जरिये कुछ आय अर्जित कर रहा है, तो इसमे बुराई क्या है? कुछ भी नही, बढ़िया है! मगर दिक्कतें आगे है, इनकी बेदरकारी, लापरवाही में है।

इन यूट्यूब जीवियोंमे अनेक लोग ऐसे भी है, जो सादी सी बात को बढ़ाचढ़ा कर प्रस्तुत करते है या कई बार गलत जानकारियाँ भी परोस देते है। बेसिरपैर के टाइटल लगाकर वीडियो, रिल्स अपलोड कर देते है, ताकी उनके व्ह्यू बढ़े। ऐसी गलतसलत जानकारियोंसे यात्री गुमराह भी हो सकते है। किसी का आर्थिक नुकसान भी हो सकता है।

यह यू ट्यूब के जरिए कमाने हेतु, यह युवा गैरजिम्मेदाराना हरकतें करने पर आमदा हो जाते है। रेल की पटरियों पर, तेजी से आती रेल के सामने, छोटी रेल की पुलिया के नीचे खड़े होकर, तेज चलती रेल के दरवाजोंपर लटक कर यह लोग वीडियो बना बना कर उसे अपलोड़ करते है। जितना वीडियो ‘हट के’ उतने व्ह्यू ज्यादा और जितने व्ह्यू ज्यादा उतनी नाम, फेम, सब्सक्राइबर और इन्कम ज्यादा। इस ज्यादा ज्यादा के लालच में यह लोग भारतिय रेल के तकनीकी मामलों और ऐसी जगहोंपर पहुंच जाते है, जो की आम लोगोंके लिए प्रतिबंधित है। यहाँ तक की उन प्रतिबंधित तकनीकी सामग्री के वीडियो यह लोग अपलोड कर देते है तो उनको यह अहसास तक नही होता, इन सामग्रियों का उपयोग कुछ शरारती तत्व देश विघातक कार्रवाईयोंमें कर सकते है।

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युवक युवतियाँ यह वीडियोग्राफी के काम करते है, जो प्रतिबंधित है, उन्हें उचित समझाइश देकर रोका जा सकता है। मगर उन ड्यूटी कर्मियोंको का क्या करें जो रेल्वेके सुरक्षा बलों में, रेल के लोको में और सिग्नलिंग डिपार्टमेंट में तैनात है। बाकायदा हर महीने सरकारी तनख्वाह ले रहे है और काम वीडियोग्राफी कर यू ट्यूब और फेसबुक रिल्स का कर रहे है। आप चकित रह जाएंगे इनमेसे कुछ वेतनभोगियों की यूट्यूब आमदानी 10 से 20 लाख रुपए वार्षिक तक है, इनके सब्सक्राइबर्स दस दस लाख है। क्या यह लोग अपने फर्ज के प्रति सजग है, अपनी ड्यूटी सही तरीके से कर रहे है? यदि इसका जवाब हाँ है, तो देश के असंख्य कर्मचारियों, सैनिकों, डॉक्टरोंके लिए अतिरिक्त रोजगार का नया दरवाजा खुल गया है। नैतिकता, अनैतिकता, गोपनीयता, सुरक्षितता गयी तेल लेने। बस! अपनी वीडियो, रिल्स बनाना है, उन्हें अपलोड करना है, अपने सब्सक्राइबर बढाना है और अपनी आय बढाना है।

मित्रों, टेक्नोलॉजी हमारे हाथ मे है। उसका उपयोग किस तरह करना है और किसके लिए करना है यह हमारा विवेक हमे सिखाता है। जिस फर्ज, ड्यूटी पर आप तैनात हो, उसकी जिम्मेदारी समझना जरूरी है। आपकी रोजीरोटी वह नौकरी है, न की यह यू ट्यूब और रिल्स की आमदानी। यही बात उन युवाओं के लिए भी, आप टेक्नोलॉजी का उपयोग अपनी उन्नति के लिए कीजिये। यह खुद और देश के जान माल को दाँव पर लगाकर इस तरह वीडियो बनाने और पैसा बनाने में कोई अर्थ नहीं और न ही यह कोई शाश्वत रोजगार हो सकता है।

लेख में प्रस्तुत तस्वीरें इंटरनेट, विविध ई-पेपर्स से साभार

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