05 अगस्त 2023, शनिवार, अधिक श्रावण, कृष्ण पक्ष, चतुर्थी, विक्रम संवत 2080
संक्रमण काल में मेल/एक्सप्रेस गाड़ियोंके रद्द किए गए बहुत से स्टोपेजेस रेल प्रशासन ने ‘एक्सपेरिमेंटल बेसिस’ पर अस्थायी छह – छह महीनोंकी अवधि देकर शुरू किए थे। इस प्रकार के अस्थायी ठहरावों में छह माह की अवधि तक, यात्रिओंके रुझान, सम्बंधित स्टेशन की रोजाना की आरक्षण बुकिंग्ज, साधारण टिकट बुकिंग्ज का लेखाजोखा रख अभ्यास किया जाता है। यदि यात्रिओंके जरिये उक्त स्टेशन को होनेवाली आय, रेल प्रशासन के सैद्धांतिक गणना के अनुसार रही तो वह ठहराव नियमित करने की अनुशंसा की जाती है।
दरअसल रेल प्रशासन का प्रत्येक यात्री गाड़ी के ठहराव को लेकर कुछ तर्क रहते है। किसी गाड़ी के स्टेशनोंपर स्टोपेजेस का प्रतिदिन अनुमानित खर्च लगभग ₹12,000 से 24,000 रुपये जाता है। इसके अलावा गाड़ी परिचालन सम्बन्धी स्टोपेजेस जिसमे गाड़ी के रखरखाव, स्टाफ़ चेंजिंग, कोच में खानपान सामग्री चढ़ाने, कोच वाटरिंग इत्यादि करने हेतु गाड़ियोंको जंक्शन पर रुकना होता है। मार्ग के बीच पड़नेवाले स्टेशनोंपर स्टोपेजेस की माँग के लिए वाणिज्यिक निकष लगाए जाते है। सम्बंधित गाड़ी उक्त स्टेशनपर रुकने से यदि उस स्टेशन की आय बढ़ती, रेल वाणिज्य विभाग का कलेक्शन बढ़ता है तो उस स्टापेज को नियमित किया जाता है।
निम्नलिखित 15 स्टेशनोंपर 20 जोड़ी गाड़ियोंका अस्थायी ठहराव दिया गया था। मध्य रेल प्रशासन ने उक्त ठहरावों को एक परिपत्रक निकालकर 6-6 महीनोंकी अवधि को अब ‘आगामी घोषणा’ किए जाने तक नियमित कर दिया है।
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रेल प्रशासन यह बात भलीभाँति समझती है, पूर्वचलित स्टोपेजेस अकस्मात रद्द करने के बाद उन्हें फिर से पुनर्स्थापित करने में “कॉस्ट स्टैटिस्टिक्स” में कोई कमी नही हुई है, अपितु स्टेशन की आय बढ़ी ही है। ऐसे में फिर से अलग अलग तिथियों की अस्थायी अवधि के लिए बढ़ोतरी देने से उन्हें एक आदेश देकर नियमित करना कही बेहतर निर्णय है।