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अब पता चलेगी ‘शून्याधारित समयसारणी’ ZBTT की आवश्यकता!

30 नवम्बर 2023, गुरुवार, मार्गशीर्ष, कृष्ण पक्ष, चतुर्थी, विक्रम संवत 2080

अब तक 34 वन्देभारत एक्सप्रेस भारतीय रेल नेटवर्क पर चलाई जा चुकी है। रेल निर्माण कारखानों में लगभग प्रत्येक 10 दिनोंमें एक वन्देभारत ट्रेन सेट की निर्मिति की जा रही है और उसे रेल प्रशासन को सौंपा जा रहा है।

आपने इस बात को अवश्य ही समझा होगा, रेल प्रशासन ने जितनी भी वन्देभारत गाड़ियाँ चलाई है, सारी की सारी नई सेवाएं है अर्थात किसी भी शताब्दी या तेज गति की कोई गाड़ी के ऐवज में, उसे बदल कर नही चलाया गया है। मगर जब जब वन्देभारत सेवा किसी मार्ग पर शुरू हुई, अवश्य ही उस मार्ग की कई गाड़ियोंकी समयसारणी में फेरबदल किया गया। यह बदलाव दस मिनट से साठ मिनिटोंतक का था। नियमित गाड़ियोंको आगे-पीछे किया गया। यह कवायद, या इस तरह के छोटे बड़े फेरफार थोड़ी ही गाड़ियोंके प्रविष्ट तक ठीक है। आगे बहुत सी वन्देभारत गाड़ियाँ भारतीय रेल में प्रविष्ट होनी है। न सिर्फ वन्देभारत एक्सप्रेस बल्कि ‘सेमी हाई स्पीड’ रेंज में रेल प्रशासन अब ‘अमृत भारत’ ग़ैरवातानुकूल गाड़ियाँ, वन्देभारत स्लिपर आवृत्ति, दो महानगर के बीच चलनेवाली वन्दे मेट्रो इस तरह के प्रयोग पटरियों पर लाने की तैयारी कर रही है।

दूसरे लगभग सभी मुख्य रेल मार्गोंपर LHB रैक से सुसज्जित गाड़ियाँ 130 प्रति घण्टे की गति में चलने जा रही है और आगे कुछ रेल मार्ग 160 गति के लिए भी निर्धारित किए जा रहे। इस अवस्था मे किसी एक गाड़ी को तीव्र गति से रेल मार्ग पर चलना है तो उसे लम्बा पैसेज खाली देना होगा। यह ठीक उसी तरह है, जैसे वन्देभारत गाड़ियोंको प्रविष्ट करने के लिए अन्य नियमित गाड़ियोंकी समयसारणी बदली गयी या उनकी गति को नियंत्रित किया गया।

शून्याधारित समयसारणी’ की अवधारणा यहाँ स्पष्ट होती है। कैसे प्रीमियम स्लॉट, जो बड़े महानगरों में सुबह पहुंचना, रात में निकलने वाली गाड़ियोंको उन स्लॉट्स से हटाया गया। कोई गाड़ी की समयसारणी बदली नही जा सकती थी या ज्यादा रेल मार्ग को अवरूद्ध कर रही थी उन्हें सदा के लिए बन्द करना। स्टापेजेस को घटाना, सवारी गाड़ियोंको मेमू रैक से सन्चालित कर एक्सप्रेस में बदलना।

आज भी कुछ LHB गाड़ियाँ 130 की गति से चलने के बावजूद उनकी औसत गति 55 से 60 के बीच की है। इसकी वजह उनको तीव्र गति से चलने के लिए जो पैसेज खाली चाहिए, उसका उपलब्ध न होना।

भारतीय रेल को अपनी औसत गति बढाना है, तो अतिरिक्त रेल मार्ग, ज्यादा प्लेटफॉर्म्स, ज्यादा लम्बे लूप्स उपलब्ध होना आवश्यक है। इस दिशा में रेल प्रशासन एक मिशन की तरह काम कर रहा है। तीव्र गति, तेज परिचालन को प्राप्त करने हेतु बहुत से परिचालनिक कार्य जैसे सिग्नलिंग सिस्टम को अद्ययावत करना, स्टेशनोंपर जिन जिन कारणोंसे देरी होती थी, जैसे शंटिंग, वॉटरिंग, मेंटेनेंस इत्यादि पर रेल प्रशासन ने काबू पा लिया है। लिंक एक्सप्रेस, स्लिप कोचेस का बन्द होना इसी का प्रतिफल है। सम्पूर्ण विद्युतीकरण होने से लोको का शंटिंग भी बन्द हो गया है।

बीते चार वर्षोँसे नियमित रेल समयसारणी का प्रकाशन भी रुका रहा था और अब भी जो समयसारणी आ रही है उनमें प्रकाशित होने के बाद भी गाड़ियोंके समय बदलते रहते है। यह सारा रेल परिचालन एक तरह से अस्थिर है और इसे स्थिर होने में और भी वक्त लग सकता है। यह भारतीय रेल प्रणाली का आमूलचूल बदलाव होगा और आम रेल यात्री को इसके लिए तैयार रहना है।

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