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पर्व चले गए, फलप्राप्ति रह गई!

5 जनवरी 2024, शुक्रवार, पौष, कृष्ण पक्ष, नवमी, विक्रम संवत 2080

लोकशाही में चुनाव और अध्यात्म, भक्ति में कुम्भ मेला यह पुण्य, फल प्राप्ति के लिए बड़े पर्व माने जाते है। जब जब चुनावों की घोषणाएं होती है, मतदाता अपनी वर्षों पुरानी तपस्या रूपी सहनशीलता को संजोए, माँग रूपी वरदान का, उस तपस्या के फलप्राप्ति का वक्त आ गया है यह समझ जाता है।

हाल ही में मध्यप्रदेश राज्य के चुनाव सम्पन्न हुए। आचार संहिता लगने के पूर्व ही यह फलप्राप्ति के महत्तम योग रहते है। वैसे आश्वासन नामक दिलासा उप वरदान तो बारों मास, तिसियों दिन नेता गण मतदाताओं की झोलियों झेलाते रहते ही है, मगर यह वक्त आज और अभी की कगार वाला रहता है। मतदाता अक्सर इसी वक्त को भुनाने की आशा रखता है और अपनी नई, पुरानी, सम्भव, असम्भव सारी मांगे फलद्रुप होने की आशा रखता है।

अब हुवा यह है, गंगा तो बह गई और बुरहानपुर, खण्डवा वासी अपनी रेल स्टोपेजेस वाली मांगों के लिए तरसते रह गए। रेल स्टोपेजेस मिलने हेतु जो जो आवश्यक सम्पर्क थे, सारे आजमाए गए। रेल मुख्यालय, क्षेत्रीय मुख्यालय, मण्डल के आधिकारिक सूत्रों से लेकर छोटे-बड़े सभी नेतागण से पत्राचार किया गया। जवाब में किसी जगह से कोरा आश्वासन तो किसी जगह से ‘तपस्या जारी रखें’ ऐसे संकेत दिए गए।

दरअसल बुरहानपुर और खण्डवा दोनों ही जिला मुख्यालय है। बड़ी अनाज मण्डिया, कल-कारखाने, लाखोंकी संख्या में जनसंख्या, पर्यटन स्थलोंके लिए निकटतम रेल सम्पर्क अर्थात किसी मेल/एक्सप्रेस के स्टोपेजेस हेतु सारी आवश्यक मदों की पूर्तता यह दोनों शहर करते है। अब कोई इनकी गलती है, की इनका शहर बड़े जंक्शन से 50, 120 किलोमीटर पर है? स्टोपेजेस की माँग को अस्वीकृत करने के लिए इन शहरोंसे उक्त जंक्शन पर पहुंचने के लिए भी पर्याप्त और सुव्यवस्थित यातायात संसाधन उपलब्ध नही है।

वर्ष 2001 में आरम्भ की गई 11055/56 और 11059/60 गोरखपुर और छपरा गोदान एक्सप्रेस के स्टोपेजेस के लिए यह शहर वासी बीते 23 वर्षोँसे तरस रहे है। यूँ तो यह गाड़ी मध्य रेलवे के रैक से चलाई जाती है और प्रयागराज जंक्शन से छपरा, गोरखपुर गन्तव्य स्टेशनोंके बीच प्रत्येक 20, 25 किलोमीटर पर ठहराव लेती है। फिर ऐसी क्या वजह होगी की मध्य रेल प्रशासन अपने ही क्षेत्रीय दायरे में इन गाड़ियोंके स्टोपेजेस को मान्यता नहीं दे पा रहा है?

सौजन्य : indiarailinfo.com

इसके अलावा और भी कुछ गाड़ियाँ है, जिनके स्टोपेजेस की माँग प्रलम्बित है। संक्रमण काल मे बन्द कर दी गयी भुसावल – नागपुर एक्सप्रेस जो खण्डवा, इटारसी होकर चलती थी, उसे भी पुनर्स्थापित करने की आस इस क्षेत्र के रेल यात्री लगाए बैठे है।

चुनावों के दौरान बहुतसी माँगोंपर सहानुभूति पूर्वक विचार होता रहा है और मांगे मानी भी जाती रही है। मगर यह प्रतीक्षा ऐसी खींची की खत्म होने का नाम ही नही ले रही। यहाँतक की कोई पर्व इसे फलद्रुप नही कर पाया।