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मुम्बई छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस में प्लेटफार्म की लम्बाई बढाने के कार्य शुरू; छह गाड़ियोंके टर्मिनल बदलेंगे

25 अप्रैल 2023, मंगलवार, वैशाख, शुक्लपक्ष, पंचमी, विक्रम संवत 2080

मध्य रेल CR में, मुम्बई छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस में प्लेटफार्म क्रमांक 10/11 एवं 12/13 की लम्बाई बढाने के कार्य शुरू किया जा चुका है। अतः निम्नलिखित छह गाड़ियाँ दिनांक 23 अप्रैल से लेकर 30 सितम्बर तक अपने गन्तव्य स्टेशन मुम्बई छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस की जगह दादर स्टेशन पर ही समाप्त कर दी जाएंगी, अर्थात दादर से मुम्बई छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के बीच रद्द रहेंगी।

1: 12134 मंगालुरु जंक्शन छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस प्रतिदिन सुपरफास्ट

2: 12810 हावड़ा छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस प्रतिदिन सुपरफास्ट मेल

3: 11402 आदिलाबाद छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस प्रतिदिन नंदीग्राम एक्सप्रेस

4: 12112 अमरावती छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस प्रतिदिन सुपरफास्ट

5: 22108 लातूर छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस सप्ताह में चार दिन चलने वाली सुपरफास्ट

6: 22144 बीदर छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस सप्ताह में तीन दिन चलनेवाली सुपरफास्ट

ज्ञात रहे, यज्ञपी यह गाड़ियाँ अपने गंतव्य से पहले दादर में समाप्त कर दी जा रही है, मगर इनके पेयरिंग रैक याने अपनी वापसी यात्रा की गाड़ियाँ 12133, 12809, 11401, 12111, 22107, 22143 अपने प्रारम्भिक प्रस्थान स्टेशन मुम्बई छत्रपति शिवाजी महाराज से रवाना की जाएगी। चूँकि इस सम्बंध में रेल प्रशासन द्वारा उपरोक्त गाड़ियोंके प्रारम्भिक प्रस्थान स्टेशन के बदलाव की कोई अलगसे सूचना नही दी गयी है, अतः यह सुनिश्चित है, यह गाड़ियाँ मुम्बई छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से ही चलने वाली है।

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बड़ी खबर : हैदराबाद – सोलापुर के बीच प्रतिदिन इण्टरसिटी विशेष

23 अप्रैल 2023, रविवार, वैशाख, शुक्लपक्ष, चतुर्थी, विक्रम संवत 2080

रेल प्रशासन एक अच्छी सोच के साथ आगे बढ़ रही है। हम पहले से कहते आये है, रेल्वेने कम अन्तर की डेमू, मेमू एवं इण्टरसिटी गाड़ियोंपर प्राधान्य पूर्वक काम करना होगा। जिस कदर लम्बी दूरी की गाड़ियोंसे ग़ैरवातानुकूल कोचेस कम किये जा रहे, साथ ही स्टापेजेस भी रद्द करने का सिलसिला चला था ऐसे मे छोटी, कम अन्तर की इण्टरसिटी गाड़ियाँ चले यह आवश्यक भी हो जाता है।

07003/04 हैदराबाद – सोलापुर – हैदराबाद प्रतिदिन इण्टरसिटी विशेष दिनांक 24 अप्रैल से 14 मई तक चलाई जाएगी। गाड़ी की संरचना में 01 वातानुकूल कुर्सी यान, 11 द्वितीय श्रेणी साधारण (जनरल) और 02 एसएलआर कोच रहेंगे।

आशा करते है, यह गाड़ी सीमित अवधितक न रहकर सदा के लिए नियमित हो जाये।

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शेगाव स्टेशन को तीन जोड़ी गाड़ियोंका स्टापेजेस मिला; महाराष्ट्र अब जलम्ब में रुकेगी

23 मार्च  2023, गुरुवार, चैत्र, शुक्ल पक्ष, द्वितीया, विक्रम संवत 2080

मध्य रेल CR, भुसावल मण्डल के शेगाँव स्टेशन को 3 जोड़ी गाड़ियोंके स्टोपेज की बड़ी अच्छी सौगात मिली है। हालाँकि इन अस्थायी, छह महीनेवाले परीक्षण ठहरावोंको स्थायी स्टोपेजेस में बदलने जितना यात्रिओंका आवागमन शेगाँव स्टेशन पर सहज है। आइए वह 3 जोड़ी गाड़ियाँ देखते है,

1: 22141/42 नागपुर पुणे नागपुर वातानुकूलित साप्ताहिक सुपरफास्ट दिनांक 31 मार्च से रुकना शुरू हो जाएगी।

2: 12421 नान्देड़ अमृतसर साप्ताहिक सुपरफास्ट दिनांक 28 औऱ 12422 अमृतसर नान्देड़ साप्ताहिक सुपरफास्ट दिनांक 29 मार्च से रुकना शुरू हो जाएगी।

3: 12751 नान्देड़ जम्मूतवी साप्ताहिक हमसफर एक्सप्रेस दिनांक 31 मार्च से और 12752 जम्मूतवी नान्देड़ साप्ताहिक हमसफर एक्सप्रेस दिनांक 27 मार्च से रुकना शुरू करेगी।

11039/40 गोंदिया कोल्हापुर गोंदिया प्रतिदिन महाराष्ट्र एक्सप्रेस दिनांक 27/28 मार्च से जलम्ब स्टेशनपर रुकना शुरू कर देगी।

यात्रीगण से निवेदन है, इन स्टोपेजेस का अपनी रेल यात्रा में उपयोग ले।

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…. किसी यात्री को, कोई दिक्कत नही है!😢

18 मार्च  2023, शनिवार, चैत्र, कृष्ण पक्ष, एकादशी, विक्रम संवत 2079

कैसा जमाना आ गया है, चाहे कुछ हो जाये, किसी की जान ही क्यों न चली जाए, पर किसी की कोई दिक्कत नही!

भारतीय रेल ही देखिए। ढेर नियम है, कायदे है मगर उनके पालन करने का न थोड़े ही नियम है। कायदे कानून सब किताबों, रेल डिब्बों की दीवारों पर सटे पड़े है। कोई उनका उपयोग अपने आचरण में नही करता और किसी को कोई दिक्कत नही है।

दरअसल ‘किसी को कोई दिक्कत नही’ का अर्थ है, यात्रिओंको परेशानी है, शिकायत भी है। यात्रिओंके मन मे अस्वस्थता भी भरी पड़ी है। मगर तेरी भी चुप और मेरी भी चुप। कुछ तुम सम्भालो कुछ हम झेल लेते है।

भाई, रेल चल रही है बस!
जनरल डिब्बोंके टॉयलेट तक मे यात्री ठूंसे हुए है, किसी को दिक्कत नही है। सम्पूर्णतः आरक्षित शयनयान स्लीपर तो नाम का ही आरक्षित कोच रह गया है। कोच के आरक्षित यात्री बेहद परेशान होते है। 72/80 यात्री क्षमता के कोच में कमसे कम दुगुने यात्री लदे रहते है। टॉयलेट, बेसिन का उपयोग करना बामुश्किल है मगर दिक्कत? अ हं! बिल्कुल नही है। क्यों रहेगी? क्योंकी रेल प्रशासन भी यही चाहता है, की यात्रिओंसे गाड़ियाँ ठूंसी, भरी रहे।

जी, जिस तरह रेल प्रशासन अपने द्वितीय श्रेणी, ग़ैरवातानुकूल यात्री सुविधाओंकी की ओरसे बेहद लापरवाही बरत रहा है, इसमे कोई शक नही की साधारण डिब्बों के यात्री भीड़ के चलते दम घुट कर मरे या भीड़ भरी गाड़ियोंसे गिर पड़े। रेल्वे अपनी वर्षोंसे चली आ रही परम्परा में सुधार करने को तैयार ही नही।

द्वितीय श्रेणी जनरल में रेलवे की ओर से यात्री सुविधाओंकी देखभाल करने वाला कोई प्रतिनिधि नही होता अतः उसमे यात्रा करनेवाले यात्री तो रामभरोसे ही है। मगर स्लीपर क्लास एक आरक्षित कोच, श्रेणी है, जिसमे सम्पूर्ण यात्रा में, अनिवार्य रूप से चल टिकट निरीक्षक मौजूद रहता है, उसकी हालत भी साधारण कोच की तरह ही बदतर रहती है। नियम है, प्रतिक्षासूची के यात्री आरक्षित कोच में यात्रा नही कर सकते, अपितु उनके टिकट का PNR गाड़ी प्रस्थान समय के मात्र 30 मिनट बाद ही ड्रेन अर्थात रद्द हो जाता है। ऐसे में किस तरह यह यात्री स्लीपर कोचेस में यात्रा करते चले जाते है? महानुभाव टिकट जाँच दल के अधिकारी ऐसे यात्रिओंको जुर्माने की रसीदें काटकर बाकायदा स्लीपर कोच में चढ़वाते है। यह माज़रा आप पुणे, मुम्बई स्टेशनोंपर, गाड़ियोंके सामने प्लेटफॉर्म पर खुल्लमखुल्ला चलते हुए देख सकते है। जब सैय्या भये कोतवाल, तब डर काहे का? टिकट जाँच दल ही रसीदें काट कर अनाधिकृत यात्रिओंको आरक्षित कोचोंमे चढवाता है तो कौन यात्री शिकायत करें?

यह बात अनाधिकृत यात्रिओंके आरक्षित कोच में यात्रा की हुई। आगे रेल प्रशासन के पास समान्तर सुरक्षा दल की व्यवस्था है। RPF रेल सुरक्षा बल। तमाम मजबूत सुरक्षा के बावजूद रेल्वे प्लेटफार्म पर सारे अनाधिकृत विक्रेता अपने सड़े, गले, निकृष्टतम खाद्यान्न के साथ मनमाने मूल्य पर रेल यात्रिओंको सरे आम लूटते रहते है। मज़ाल है, की यात्री एक शब्द इनसे बोल दे, शिकायत कर दे, बेचारे की जान जोखिम में आ जाती है। रेल प्रशासन द्वारा कुछ ही ब्रांड्स की पानी बोतल बेचने के लिए अधिकृत की गई है, मगर रेलवे स्टेशनोंपर सरे आम लोकल पानी की बोतलें हजारों संख्या में लायी जाती है और बेची जाती है। एक दिन की खपत 5000 से 10000 पानी बोतल और प्रत्येक बोतल के पीछे 10 से 12 रुपये की मार्जिन। कुछ समझ रहें गुनागणित? 60 हजार से सव्वा लाख रुपये रोज। भला किसी को क्या दिक्कत हो सकती है?

रेल प्रशासन को सोचना चाहिए, उनके पास दल, बल सब है, मगर क्या वह वाकई यात्रिओंकी सुविधा के लिए है? टिकट जाँच दल अपने टारगेट अचीव कर अवॉर्ड्स लेने में जुटा है। सुरक्षा बल पता नही किन बन्दों की, सामान की सुरक्षा कर रहा है? अनाधिकृत माल और उसका विपणन करनेवाले लोग इतनी सुरक्षा के बावजूद आ ही कैसे सकते है, रेलवे आहाते में? मामूली 250 रुपयोंका जुर्माना देकर अनाधिकृत व्यक्ति साहूकार बन रेल में घूम सकता है यह केवल इन “अवार्डधारी” जाँच दल के बदौलत।

सचमुच रेल प्रशासन को आत्मपरीक्षण की सख्त जरूरत है, वरना किसी को कोई दिक्कत कभी रहेगी ही नही। अधिकृत यात्री किसी ओर विकल्पों की तरफ मुड़ जाएंगे और अनाधिकृत व्यवसाय, यात्री रेल के मेहमाननवाजी का लाभ बराबर लूटते रहेंगे।

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भारतीय रेलवे की सम्पूर्ण पिंकबुक 2021-22

इस पिंकबुक मे भारतीय रेल के 16 क्षेत्रीय विभाग, रेलवे बोर्ड, बनारस एवं चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स, 3 कोच फैक्टरी, व्हील फैक्टरी, कोलकाता एवं चेन्नई मेट्रो, RDSO और 4 वर्कशॉप्स की वर्ष 21-22 के लिए आर्थिक रणनीति सम्मिलित है।