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प्रयागराज महाकुम्भ 2025 : स्वच्छ, सुन्दर, सात्विक एवं सुरक्षित!

09 फरवरी 2025, रविवार, माघ, शुक्ल पक्ष, द्वादशी, विक्रम संवत 2081

प्रयागराज महाकुम्भ 2025 निमित्त हमारी बहुत सी पोस्ट आई। कुछ विशेष गाड़ियोंकी, गाड़ियोंके नियंत्रण की और कुछ वहाँ के व्यवस्थाओं के बारे में थी। महाकुम्भ मेला अभी 26 फ़रवरी, महाशिवरात्रि तक जारी है। आज हम यहाँ पर कुछ आँखोँ देखी बयाँ करनेवाले है।

प्रयागराज महाकुम्भ 2025 में, पूर्ण पर्व काल मे लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन का अनुमान था, मगर कल दिनांक 08 फरवरी तक ही यह आँकड़ा 35 करोड़ तक पहुंच गया है और श्रद्धालुओं की संख्या अनुमान से डेढ़ गुना पहुँच सकती है।

एक बहुत ही कम समय की, पन्धरह घण्टे की महाकुम्भ मेला यात्रा में हमने प्रयागराज में, रेलवे और शहर व्यवस्था में कुछ उल्लेखनीय बातें नोट की है। प्रयागराज में उत्तरमध्य रेलवे का क्षेत्रीय मुख्यालय है। प्रयागराज के सभी स्टेशनोंपर नैनी, प्रयागराज जंक्शन, प्रयाग, प्रयागराज संगम, प्रयागराज छिंवकी, प्रयागराज रामबाग़ में रेल विभाग द्वारा रेल यात्रिओंका उत्कृष्ट प्रबंधन किया गया है। प्रयागराज जंक्शन पर प्रत्येक 10 मीटर पर रेल सुरक्षा बल के जवान तैनात है। यह तैनाती प्लेटफार्म, ऊपरी पैदल पुल, सर्क्युलेटिंग एरिया में आप को दिखाई देंगी।

किसी भी तरह की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा कर्मियोंके साथ उत्तम सार्वजनिक सम्बोधन प्रणाली, पब्लिक अड्रेसिंग सिस्टम की आवश्यकता होती है। स्टेशनपर राउण्ड दी क्लॉक, 24 घण्टे यह जारी है। इसके अलावा प्रत्येक सुरक्षा बल का जवान चाहे वह महिला हो या पुरुष कर्मी, यात्रिओंको बेहद विनम्रता से सहयोग, सहायता एवं सलाह देने के लिए तत्पर है। अनारक्षित एवं आरक्षित यात्रिओंके लिए भिन्न भिन्न आगमन एवं प्रस्थान द्वार बनाए गए है। यात्रिओंकी अवांछनीय भीड़ के नियंत्रण हेतु सर्क्युलेटिंग एरिया में बनाए गए विशाल तंबुओं में उन्हें रुकाया जाता है और गाड़ी के आगमन सुचना की उद्घोषणा के साथ उन्हें प्लेटफार्म पर छोड़ा जाता है। प्लेटफार्म पर तैनात सुरक्षा बल के जवान, गाड़ी प्लेटफार्म पर स्थिर होने तक प्लेटफार्म के किनारोंपर यात्री सुरक्षा को मुस्तैदी से सम्भाल रहे है, जो बेहद उल्लेखनीय सेवा है।

रेलवे प्लेटफार्म और तमाम सर्क्युलेटिंग एरिया में साफसफाई व्यवस्था देखते ही बनती है। सैकड़ों सफाई कर्मचारी चौबीसों घण्टे, अविरत सेवा दे रहे है।

यही सारी व्यवस्था आप को रेल परिसर के दायरे से बाहर, प्रयागराज शहर में भी दिखाई देंगी। यहाँ राज्य शासन के पुलिस कर्मी यह जिम्मेदारी सम्भाल रहे है, जिससे तमाम यात्रिओंको, अपनेआप को सुरक्षित होने का एहसास दिलाता है। उनके सहयोग में कई अन्य केंद्रीय राखीव पुलिस CRPF, RAF की टुकड़ियाँ तैनात है। शहर महानगर निगम के सफाई कर्मी भी बेहद सतर्कता से अविरत सेवा दे रहे है।

शहर में दिनभर में अनुमान से दुगने यात्रिओंकी आवाजाही हो रही है। शहर की सार्वजनिक यातायात के लिए रिक्शा, ई-रिक्शा के अलावा शहर के कई युवा निम्न दर में अपने दुपहिया वाहन लेकर जरूरतमंद यात्रिओंको शहर के हर क्षेत्र में पहुँचाने के लिए उस्फूर्त सेवाएं दे रहे है।

कुम्भ के मेला क्षेत्र में भी श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था अतिउत्तम रखी गयी है। अनगिनत पुलिस कर्मी, सफाई कर्मी तैनात किए गए है। भीड़ को नियंत्रित करने हेतु, बैरिकेडिंग कर के आने-जाने के मार्गोंको विभाजित किया गया है। हालाँकि इन कारणोंसे श्रद्धालुओं को कुछ ज्यादा पैदल चलना पड़ता है, मगर नियोजन के लिए यह आवश्यक ही है।

महाकुम्भ के सुचारू नियोजन के लिए राज्य पुलिस बल एवं केन्द्रीय सुरक्षा बल, रेल विभाग, शहर यातायात विभाग का समन्वय बहुत उल्लेखनीय है। इसके साथ ही प्रयागराज के स्थानीय व्यवसायी, शहरवासी भी शहर पर आने वाले यात्रिओंके अतिरिक्त दबाव को बेहद शांतता एवं समझदारी से निभा रहे है। निगम के आवाहन पर अपने निजी बड़े वाहनों के उपयोग से और बिनावजह मेला क्षेत्र में जाने से परहेज कर रहे है।

कुल मिलाकर यह समझा जा सकता है, सभी सुरक्षा एजंसियों, यातायात व्यवस्था, नगर निगम सफाई व्यवस्थाओंके उत्कृष्ट समन्वय से महाकुम्भ 2025 यात्रिओंके लिए सुगम एवं सुरक्षित चल रहा है। जहाँ अनुमान से दुगुना, तिगुना जनसैलाब पहुँच जाए तो कुछ अप्रत्याशित घटना हो जाती है। हालाँकि इससे निपटने के लिए प्रशासन तुरन्त अपनी व्यवस्थाओंका केंद्रीकरण कर पहुँच रहा है। अन्ततः प्रयागराज शहर वासियोंके उत्कृष्ट सहयोग के साथ ही यात्रिओं, श्रद्धालुओं के भी अनुशासित रहने की नितान्त आवश्यकता है।

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रेलवे का स्लिपर क्लास

चार महीने पहले, लम्बी कतारोमे, धक्के खाते, आरक्षण कन्फर्म करवा के आखिर वो यात्रा की शुभ घड़ी आ ही गई थी की हम इलाहाबाद के कुम्भ स्नान का पुण्य अपने गांठ बांध लें।

गाड़ी पुणे स्टेशन से दोपहर सवा चार बजे छुटने वाली थी। तीर्थयात्रा जाना था, बड़े बूढ़े कहते है बारवास में सकून देखना चाहिए पैसे नही, तो कैब बुलवा ली और पहुंच गए स्टेशन। हालाँकि कुम्भ में शाहीस्नान के पर्व की तिथि तो नही थी पर पुणे स्टेशन की भीड़ देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे सभी को हमारे साथ ही पूण्य अर्जित करने की सूझी है।

पौने चार बजे गाड़ी स्टेशनपर लगी, तो क्या जनरल डिब्बे और क्या आरक्षित शयनयान डिब्बे। भीड़ तो ऐसे उमड़ी की जैसे लंगर लगा हो। हम भी हो लिए, हमारे डिब्बे एस 4 की ओर। बड़ी जद्दोजहद के बाद डिब्बे में घूंसे, अपने बर्थ तक पहुँचे, तो हमारी दोनोंही लोअर बर्थ पर 6 – 6 लोग पहलेसे ही जमे थे। अब वार्तालाप देखिए, हमने कहा, “भाई यह हमारे रिजर्वेशन है, हमे बैठने दीजिए।” अपने पाँव मोड़ कर के, आगे पीछे खिसक के, सलाह मिली, “लीजिए, आप बैठ जाइए। रिजर्वेशन टिकट तो हमारे भी है, बस कन्फर्म नही हुए वेटिंग में है।” अब पूरी डिब्बे की भीड़ के सामने हम विलेन बने, ” ये सिट मुझे दे दे ठाकुर” वाली स्टाईल में गब्बर की तरह दिखाई दे रहे थे और सैंकड़ों जय, वीरू और बसंतियाँ हमे घूर रही थी। जाना तो सभी को इलाहाबाद, वाराणसी। खैर! अब शुरू हुआ एडजस्टमेंट वाला खेल। गाड़ी चल पड़ी तो थोड़े सरको, जरा खिसको, थोड़ा बैठो और सेट हो जाओ।

गाड़ी चले, 4 घंटे हो चुके थे। टिटी साहब का कोई अतापता नही था। हमें भरोसा था, बाबूजी आएंगे और बिना रिजर्वेशन वालोंसे हमारी जगह ख़ाली करवा देंगे। अब तो हमारी बेगम भी हमे अपनी आंखें दिखाने लग गई थी। शाम ढलते ढलते, वैसी ही भीड़भाड़ मे हमने अपना टिफिन निकाला और खाना खा लिए। रात के 10 बज गए, ” भाई, अब हम सोएंगे, बर्थ खाली कर दो” थोड़े लोग इधर उधर हो गए, जगह बनाई गई और श्रीमतीजी मिडल बर्थ पर और हम निचले बर्थ पर लेट गए। बड़ी मुश्किल से नींद आई, अचानक हमारे पैर किसी भारी वजन से दब गए। हड़बड़ाकर उठने हुए तो हमारे बगल में हमारी बर्थ पर एडजस्ट हुवा एक बन्दा दन से नीचे गिरा, उसको सम्भालते तब तक जो पैर पर का बोझा भी लुढक़ चुका था। बड़ाही हडक़म्प मच गया। क्योंकि जहाँ ये लोग गिरे वहाँ भी लोग हाथ पैर पसारे चित हुए पड़े थे। ” ऐ काका, शांती से सोते रहा, काहे उठत रहे?” इधर हम अपने दबे पैरों का दर्द सहते बोले, ” भैया, हमारा बर्थ …..” अरे चाचा, आप ही तो सोये है, तनिक टिक लिए तो कौन तकलीफ़ हो गई? रात का समय है, आँख लग गई, तो थोड़ा सा…., और वैसे भी सुबह होने को है। आप पूरी रात सोए हो, अब हम भी थोड़ा सो ले?”

हम सोच रहे, हमारा कहाँ चूक हो गया, शायद स्लिपर क्लास में रिजर्वेशन कराने में? वातानुकूलित डिब्बे में एडजस्ट वाला खेला नही होता।