लगातार ग़ैरवातानुकूलित कोचों की कमी के कारण आम रेल यात्री आजकल अपनी रेल यात्रा में भारी परेशानियों से गुजरता है। टिकट खरीदने के बावजूद उसे सुरक्षित और आरामदायक यात्रा की शाश्वती नही है। यात्रा के दौरान गाड़ी में बैठने की जगह तो क्या चढ़ने भी मिलेगा या नही, यह हाल और परिस्थितियां है।
19 फरवरी 2024, सोमवार, माघ, शुक्ल पक्ष, दशमी, विक्रम संवत 2080
रेल प्रशासन कोच संरचना के मानकीकरण के नामे लगातार अपनी नियमित मेल/एक्सप्रेस गाड़ियोंकी कोच संरचना से ग़ैरवातानुकूलित कोच कम करते जा रहा है। पवन और कामायनी एक्सप्रेस गाड़ियाँ कम अंतर की, 200 से 400 किलोमीटर की रेल यात्रा करने वाले यात्रिओंमें लोकप्रिय और उपयोगी गाड़ियाँ है। पूरे 22 कोच की संरचना में वैसे ही द्वितीय श्रेणी अनारक्षित जनरल कोच की संख्या मात्र 03 कोच की है और आरक्षित, ग़ैरवातानुकूलित स्लिपर भी अब लगातार घटाए जा रहे है।
11061/62 लोकमान्य तिलक टर्मिनस – जयनगर – लोकमान्य तिलक टर्मिनस पवन प्रतिदिन एक्सप्रेस, 11071/72 लोकमान्य तिलक टर्मिनस – बलिया – लोकमान्य तिलक टर्मिनस कामायनी प्रतिदिन एक्सप्रेस, 11055/56 लोकमान्य तिलक टर्मिनस – गोरखपुर – लोकमान्य तिलक टर्मिनस गोदान एक्सप्रेस ( सप्ताह में चार दिन), 11059/60 लोकमान्य तिलक टर्मिनस – छपरा – लोकमान्य तिलक टर्मिनस त्रिसाप्ताहिक एक्सप्रेस इन सभी LHB कोच से परिचालित गाड़ियोंकी कोच संरचना में मार्च 2024 के पहले सप्ताह में बदलाव किया जा रहा है। निम्नलिखित परिपत्रक देखिए,

बदली हुई कोच संरचना (कंस में पुरानी कोच संरचना का उल्लेख किया गया है।)
1: 11061/62 लोकमान्य तिलक टर्मिनस – जयनगर – लोकमान्य तिलक टर्मिनस पवन प्रतिदिन एक्सप्रेस इस 22 कोच की गाड़ी में अब 02 वातानुकूल टु टियर (01), 06 वातानुकूल थ्री टायर (03), 08 शयनयान स्लिपर (12)
2: 11071/72 लोकमान्य तिलक टर्मिनस – बलिया – लोकमान्य तिलक टर्मिनस कामायनी प्रतिदिन एक्सप्रेस इस 22 कोच की गाड़ी में अब 07 वातानुकूल थ्री टायर (05), 09 शयनयान स्लिपर (10), वातानुकूल थ्री टायर इकोनॉमी रद्द किया गया (01)
3: 11055/56 लोकमान्य तिलक टर्मिनस – गोरखपुर – लोकमान्य तिलक टर्मिनस गोदान एक्सप्रेस ( सप्ताह में चार दिन) और
4: 11059/60 लोकमान्य तिलक टर्मिनस – छपरा – लोकमान्य तिलक टर्मिनस त्रिसाप्ताहिक एक्सप्रेस, इन 22 कोच की गाड़ियोंमें अब 07 वातानुकूल थ्री टायर (05), 09 शयनयान स्लिपर (10), वातानुकूल थ्री टायर इकोनॉमी रद्द किया गया (01)
कुल मिलाकर पवन एक्सप्रेस के 4 स्लिपर कोच परिचालन में से निकाले गए और कामायनी एवं गोदान एक्सप्रेस का एक स्लिपर और एक वातानुकूल थ्री टियर इकोनॉमी कोच परिचालन में से निकल गया।
एक तरफ अनारक्षित और ग़ैरवातानुकूलित कोच में कमी की जा रही है और दूसरी तरफ अनारक्षित टिकटोंकी बिक्री पर कोई सीलिंग, अंकुश नही है। मार्ग के प्रत्येक स्टेशनोंपर द्वितीय श्रेणी अनारक्षित टिकट बेचे जाते है जबकि गाड़ियोंके इस श्रेणी की यात्री क्षमता मात्र 100×3 कुल 300 यात्रिओंकी होती है। उपरोक्त परिस्थितियों में, अनारक्षित यात्री आरक्षित कोचों में चढ़ने के लिए मजबूर हो जाते है। आजकल तो स्लिपर कोच की कमी के चलते यह अनारक्षित टिकट धारक वातानुकूल कोच में भी सवार हो जाते है।
आगे ही स्लिपर वर्ग के आरक्षित यात्री मासिक पास धारकों, रेल विभाग के ड्यूटी पास / प्रिविलेज पास धारकोंकी कम अंतर की अतिक्रमित यात्राओंसे परेशान रहते थे। अब अमूमन यही स्थिति वातानुकूल कोचों में भी पाई जाने लगी है और रेल प्रशासन इन समस्याओं की तरफ देखता तक नही। यात्री की शिकायत पर सुरक्षाकर्मी कोच पर हाजिरी देते है, चलती गाड़ी में अवांछित यात्रिओंको आगे या पीछे के कोचों में खदेड़ते है और एखाद, दो घण्टों में स्थिति यथावत भी हो जाती है। आम यात्री शिकायत भी कितनी बार करेगा?
इन चिजोंका, स्थितियोंका स्थाई समाधान रेल प्रशासन को ढूंढना और उसे मुस्तेदी से लागू करना आवश्यक है। नियमित मेल/एक्सप्रेस गाड़ियोंमे से अनारक्षित द्वितीय श्रेणी को आरक्षित 2S में अनिवार्य रूप से बदलना आवश्यक है, ताकि द्वितीय श्रेणी अनारक्षित टिकटोंकी बिक्री पर बन्धन आए। साथ ही गैर-उपनगरीय मार्गोंके सीजन पास पर भी मेल/एक्सप्रेस के यात्राओंमें कुछ बन्धन लाना होगा। साथ ही ग़ैरवातानुकूलित क्षेत्रोंमें 300 से 500 किलोमीटर मार्ग की मेमू/इंटरसिटी गाड़ियोंकी आवृत्तियों में वृद्धि करनी होगी। इस तरह के कुछ सकारात्मक बदलाव किए जाए तो आम रेल यात्री अपनी रेल यात्रा शांतिपूर्वक कर पाएगा।









