02 अक्तूबर 2023, सोमवार, आश्विन, कृष्ण पक्ष, तृतीया, विक्रम संवत 2080
कैसी निर्दयतापूर्ण सोच है! एक रेल यात्री गाड़ी जा रही है और उसके लिए बिछी पटरी पर कुछ बिगड़े तत्व, बेहूदा सोच पटरी पर गिट्टी, लोहे की सरिया और पटरी के जोड़ में बड़ा सा बोल्ट ठूंसकर रखते ताकि गाड़ी को नुकसान पहुंचे। यह सोच, बेहद खतरनाक है, देश के जान, माल सम्पत्ती के ख़िलाफ़ षड़यंत्र है।
यह साज़िश राजस्थान के भीलवाड़ा रेलवे स्टेशन के पास 20979 उदयपुर जयपुर वन्देभारत एक्सप्रेस के साथ होने जा रही थी। गाड़ी के चालक दल की उच्चतम सतर्कता से इसे टाला जा सका है।
यूँ तो भारतीय रेल पर रेल कर्मियोंकी सतत निगरानी जारी रहती है। दिन रात रेल कर्मी, रेल पुलिस बल अपने कर्तव्य पर डटे रहते है। कुछ असामाजिक तत्व है, जो इस तरह के कारनामों को अन्जाम देते रहते है।
12 अगस्त 2023, शनिवार, अधिक श्रावण, कृष्ण पक्ष, एकादशी, विक्रम संवत 2080
उदयपुर पहुंचा वन्देभारत का रैक
एक और वन्देभारत एक्सप्रेस चलने के लिए तैयार हो रही है। उदयपुर सिटी – जयपुर – उदयपुर सिटी। 8 कोच का रैक उदयपुर सिटी पहुंच चुका है और इसके ट्रायल रन्स का शेड्यूल भी सामने आ गया है। उदयपुर जयपुर के बीच परिपत्रक में ट्रायल्स, उदयपुर, मावली जंक्शन, चंदेरिया, भीलवाड़ा, अजमेर, किशनगढ़, जयपुर इस मार्ग से बताई गई है मगर खींचतान में कोटा, बूँदी मार्ग भी अपना जोर लगा रहा है।☺️ देखते है, अन्ततः परिचालन की घोषणा किस के पाले में जाएगी। गौरतलब चर्चा यह भी है, इस गाड़ी को भी इन्दौर – भोपाल वन्देभारत की तरह सड़क परिवहन की कड़ी चुनौती रहनेवाली है। वन्देभारत गाड़ियोंके तगड़े किराए और प्रीमियम स्टेटस, देश मे सभी क्षेत्रोंमें समान रूप में पचाये नही जा रहे। जहाँ उद्योग, व्यापार व्यवसाय निमित्त यात्राएं होती है, जैसे मुम्बई, अहमदाबाद, चेन्नई, बेंगलुरु वन्देभारत या पर्यटन यह प्रमुख कारण है जैसे वाराणसी, दिल्ली, कटरा, केरल की वन्देभारत गाड़ियोंको अच्छा यात्री भार मिला है। वहीं इन्दौर, भोपाल, जबलपुर, नागपुर, बिलासपुर जैसे शहरोंके बीच वन्देभारत को यात्री भार की कमी से गुजरना पड़ रहा है।
यह एक मेल/एक्सप्रेस श्रेणी की नई साप्ताहिक गाड़ी घोषित की गई है। नागपुर – जबलपुर, शहडोल के बीच। जिस तरह नागपुर से जबलपुर के बीच नियमित मार्ग इटारसी होकर ढेर गाड़ियाँ चल रही है, यह बिल्कुल आशा के अनुरूप अलग नए मार्ग सौंसर, छिंदवाड़ा, सेवनी, नैनपुर, जबलपुर होकर आगे कटनी होते हुए शहडोल ले जाई जा रही है। इसमे भी नागपुर, गोंदिया, बालाघाट होकर जबलपुर ले जाने की चर्चाए थी। मगर छिंदवाड़ा होकर चलना इस क्षेत्र की सम्पर्कता, रेल कनेक्टिविटी के लिए आवश्यक ही था। यह गाड़ी के फेरे साप्ताहिक से बढ़ते चले यह आशा है।