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‘वन्दे-साधारण’ भारतीय रेल की ओर से ग़ैरवातानुकूल यात्रिओंके लिए लाया जा रहा है, नया प्रयोग!

13 अक्तूबर 2023, शुक्रवार, आश्विन, कृष्ण पक्ष, चतुर्दशी, विक्रम संवत 2080

प्रिय यात्रीगण, वन्देभारत वातानुकूल प्रीमियम गाड़ियोंमें उसके वजनदार किरायोंके चलते यात्रा नही कर पा रहे हो तो वन्देभारत श्रृंखला में ग़ैरवातानुकूल श्रेणी के ट्रेन सेट भी भारतीय रेल पटरियों पर लाने जा रही है।

पहले इस वन्दे-साधारण गाड़ी की विशेषता समझ लेते है, आगे उसके उपयोगिता तर चर्चा करेंगे।

# यह गाड़ी पुश-पुल संरचना में बनाई जा रही है, जिसके दोनों सिरों पर वायुगतिकीय रूप से (ऐअरोडायनेमिक) डिज़ाइन किए गए WAP5 लोकोमोटिव लगाए जाएंगे जो ‘केंद्रित पावर ट्रेन सेट’ अर्थात दोनों लोको एक ही कैबिन से संचालित किए जा सकते है।

# गाड़ी के कोच आपस मे सेमी परमानेंट कप्लर्स से जुड़े रहने से यात्रिओंको चलती ट्रेन में झटके नही लगेंगे।

# गाड़ी संरचना में कुल 22 कोच रहेंगे। लोको के बाद 1 एसएलआर, 04 द्वितीय साधारण जनरल, 12 स्लिपर क्लास, 04 द्वितीय साधारण जनरल, 01 एसएलआर

यह गाड़ी 130 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति के साथ चल सकेगी।

स्लिपर एवं जनरल कोच की विशेषताएं :

यात्री कोच में बेहतर डिज़ाइन एवं हल्के वजन वाली फ़ोल्ड करने योग्य स्नैक टेबल

दो कोच के बीच जाने-आने के लिए पूरी तरह से सीलबंद गैंगवे (वेस्टिबुल)

उपयुक्त होल्डर और फ़ोल्ड करने योग्य बोतल होल्डर के साथ मोबाइल चार्जर

बेहतर रंग सम्मिश्रण के साथ सौंदर्यपूर्ण रूप से सुखद और एर्गोनॉमिक रूप से डिजाइन की गई सीट और बर्थ।

बेहतर गद्देदार सामान रैक।

जीरो डिस्चार्ज एफआरपी मॉड्यूलर टॉयलेट।

शौचालयों और विद्युत कक्षों में एयरोसोल आधारित अग्नि शमन प्रणाली।

रेडियम की परावर्तित रोशनी की फ़्लोरिंग पट्टी

यात्रा के समय को कम करने के लिए तेज़ त्वरण (ऐक्सलेरेशन)

वन्दे-साधारण कोच
वन्दे-साधारण लोको

चलिए, विशेषताएं समझ ली अब इसके उपयोगिताओं के बारे भी चर्चा कर लेते है।

मित्रों, हमारे देश मे ‘भारतीय रेल’ यह यातायात का सबसे उपयुक्त, किफायती संसाधन है। महज 30, 40 पैसे प्रति किलोमीटर दर से मिलनेवाली ग़ैरवातानुकूल टिकट सर्वसाधारण यात्रिओंमें बेहद लोकप्रिय है। राज्य परिवहन या अन्य किसी भी यातायात साधनों के किराया दर इससे लगभग दुगुने, तिगुने है। साधारण टिकटोंके आबंटनपर कोई निर्बंध नही है। स्टेशन जाइए, टिकट खरीदिए और रेल से रवाना हो जाइए। ऐसी स्थिती में कोई रेल गाड़ी खाली नहीं चलती, सभी को यात्री भार अवश्य ही मिलता है।

भारतीय रेल ने संक्रमण काल के बाद अमूमन सभी सवारी गाड़ियाँ, जिनके किराए महज 10, 12 पैसे प्रति किलोमीटर थे, बन्द कर दी गयी और वह भी किसी जाहिर सूचना के बगैर। जो सवारी गाड़ियाँ चलती थी उन्हें उसी गती, समयसारणी के साथ एक्सप्रेस का नाम दे दिया गया और उसके साथ ही उन गाड़ियोंके यात्री किराए अपनेआप तिगुने हो गए। एक तरफ वन्देभारत प्रीमियम श्रेणी की गाड़ियाँ तेजी से पटरियों पर लाई जा रही थी, जिनके किराए जनसाधारण के जेब को जम नही रहे थे। यात्री आक्रोशित हो रहे थे और किसी तरह साधारण, ग़ैरवातानुकूल यात्रीओंको दिलासा देना आवश्यक हो गया था। आखिरकार ‘वन्दे-साधारण’ नामक प्रयोग का अविष्कार किया गया, जिसे इसी महिनेके आखिरी में पटरियों पर लाया जा रहा है।

यात्री उपयोगिता की बात करें तो यहॉं जरूरत बड़ी चीज है। दिनोंदिन रेल प्रशासन नियमित मेल/एक्सप्रेस गाड़ियोंसे ग़ैरवातानुकूल कोच की संख्या घटाते जा रहा है और उन्हें वातानुकूल कोच में बदल रहा है। साधारण यात्री जो वातानुकूल यात्रा का किराया वहन नही कर सकता, वह क्या करें? यह गाड़ी कहीं से कहीं चले, यात्री भार जो भर-भर के मिलेगा। रही बात इसके किरायों की तो, अवश्य ही इसकी भी अंत्योदय, महामना एक्सप्रेस जैसी अलग किराया श्रेणी बनेगी। यदि उसे अंत्योदय जैसे फुल्ली रिजर्व याने सम्पूर्ण आरक्षित ट्रेन श्रेणी में उतारा गया तो लम्बी दूरी के यात्रिओंको सहूलियत होंगी। वैसे भी रेल प्रशासन शॉर्ट डिस्टेंस के लिए मेमू एक्सप्रेस पर जोर दे ही रही है। केवल माँग यह है, मेमू गाड़ियोंकी आवृत्ति बढ़े और साथ ही साथ भीड़ वाले रेल मार्ग पर वन्दे-साधारण जैसी गाड़ियोंके फेरे और भी चले।