04 अक्तूबर 2023, बुधवार, आश्विन, कृष्ण पक्ष, षष्टी, विक्रम संवत 2080
RAC टिकट, भारतीय रेल की आरक्षित टिकट में एक टॉर्चर, यातना। RAC का अर्थ है रिजर्वेशन अगेन्स्ट कैंसलेशन। मतलब आपने भलेही बर्थ बुक कराई थी, चार्ट बनने के बाद, आपका टिकट RAC स्टेट्स में रह गया है तो आपको शेयरिंग सीट मिल रही है। और आप गाड़ी के प्रस्थान समय से 30 मिनट पहले जो सेकण्ड चार्टिंग होता है उससे पहले, चाहे तो ₹ 60/- रद्दीकरण शुल्क चुकाकर अपना आरक्षण रद्द नही करा रहे है तो आप को साइड लोअर बर्थ पर दो यात्रिओंके बीच सीट शेयर कर यात्रा करना मन्जूर है, यह समझा जायेगा। यह बात भी तय है, यात्रा के दौरान, जब भी आपके गंतव्य तक बर्थ उपलब्ध होगी तो सब से पहले RAC टिकट धारक को बर्थ दी जाती है।

अब यह RAC टिकट यातनामय क्यूँ बन जाता है, यह एक घटना के साथ समझते है।
दिन की ट्रेनों में रिजर्वेशन अगेंस्ट कैंसिलेशन (आरएसी) टिकट धारकों को समायोजित, एडजस्ट करना भारतीय रेलवे के लिए एक चुनौती बनी हुई है क्योंकि साइड अपर बर्थ पर यात्रा करने वाले यात्री सुबह 6 बजे के बाद साइड लोअर बर्थ पर खिड़की वाली सीट के हकदार होते हैं।

रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है की दिन की ट्रेनों में साइड लोअर बर्थ पर तीसरे व्यक्ति को बिठाने का मुद्दा वादग्रस्त विषय बना हुआ है। इस मुद्दे पर हमेशा ही शिकायतें आती हैं और टीटीई उन्हें सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने का प्रयास करते हैं। ऐसी ही एक शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने पिछले सप्ताह दक्षिण रेलवे को आरटीआई अधिनियम, 2005 के अंतर्गत, पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना के अनुसार याचिकाकर्ता को पूरी जानकारी देने का निर्देश दिया था। एस. राजन द्वारा मंडल रेल प्रबंधक, तिरुचिरापल्ली को दायर की गई एक याचिका में उन्होंने बताया कि उन्हें और उनकी पत्नी को एक दिन की रेल में वृद्धाचलम से मदुरै तक सीट एस 3 की 7 क्रमांक की साइड लोअर बर्थ पर आरएसी आबंटन दिया गया था। जब वे साइड की निचली बर्थ की दो विंडो सीटों पर बैठने गए, तो साइड की ऊपरी बर्थ के यात्री ने एक सीट ले ली थी। उन्होंने आश्चर्य जताया कि एक खिड़की वाली सीट पर दो यात्री कैसे बैठ सकते हैं चूँकि दोनों यात्रिओंकी RAC सीट क्रमांक 7 ही थी।
उन्होंने रेल प्रशासन से जानना चाहा की ऐसी स्थितियों में रेलवे नियम क्या कहते हैं। लोक सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के जवाब से असंतुष्ट होकर उन्होंने सीआईसी के समक्ष अपील दायर की। दोनों पक्षों को सुनने के बाद केंद्रीय सूचना आयुक्त ने रेलवे अधिकारियों से याचिकाकर्ता को जानकारी उपलब्ध कराने को कहा, जिसका उत्तर की अभी प्रतीक्षा है। यात्रा के दौरान सहयात्रिओंमें आपसी सहयोग, समझदारी, तालमेल न हो तो रेल प्रशासन और ड्यूटी रेल कर्मी भी किसी समाधान तक नही जा पाते है।
रेल प्रशासन ने ऐसी दुविधापूर्ण अवस्था से बचने के लिए गरीब रथ एक्सप्रेस में RAC टिकटों का आबंटन ही बन्द कर दिया है। गरीब रथ एक्सप्रेस में पहले ही 9 यात्री साइड मिडल बर्थ की रचना में दिन की यात्रा में अतिरिक्त होते है। वर्षभर व्यस्त चलनेवाली गाड़ियोंमे, कई ऐसे RAC टिकट धारक यात्री रहते है, जो अपनी पूरी यात्रा बिना बर्थ के, सीट पर ही बैठ कर ही सम्पन्न करते मिल जाएंगे। विशेष बात तो यह है, वातानुकूल कोचों में भी यह दुर्दैवी यात्री, बिना बेडिंग सेट के यात्रा करते है। यह RAC वाली दुविधा जब बड़ी ही विचित्र हो जाती है, की एक ही सीट का आबंटन में दो यात्रिओंमें में एक महिला और दूसरा पुरूष यात्री हो।
रेल प्रशासन को चाहिए की इस गरीब रथ वाली RAC टिकटों के आबंटन रद्द करने की नीति का कार्यान्वयन अन्य मेल/एक्सप्रेस औऱ अन्य सभी गाड़ियोंके शायिका आरक्षण में अवश्य ही करना चाहिए। प्रत्येक स्लीपिंग कोच में दस से बीस की संख्या में, आरक्षण सहित पूर्ण किराया चुकाए हुए, अधिकृत यात्री का कोच में अतिरिक्त होना निश्चित ही परेशानी का सबब है।
