31 दिसम्बर 2023, रविवार, पौष, कृष्ण पक्ष, चतुर्थी, विक्रम संवत 2080
30 दिसम्बर 2023 से भारतीय रेलवे के लम्बे-चौडे यात्री गाड़ियोंके बेड़े में ‘अमृतभारत’ एक्सप्रेस का प्रवेश हुवा। यूँ तो यह भारतिय रेल की वन्देभारत नामक प्रीमियम गाड़ी के लगभग साथ, संगत और संकल्पनाओं की ही, शुरू की गई गाड़ी है। फर्क है, इनमें उपलब्ध सुख-सुविधाओं और श्रेणियोंका। वन्देभारत प्रीमियम दर्जे की सम्पूर्ण वातानुकूलित, खानपान सुविधाओं से युक्त गाड़ी है और ‘अमृतभारत एक्सप्रेस’ एक सर्वसाधारण जनसाधारण, अंत्योदय वर्ग की मगर शयनयान युक्त, नियमित मेल/एक्सप्रेस की तरह ग़ैरवातानुकूलित गाड़ी है। जिसमें सर्वसाधारण यात्री अपनी रेल यात्रा करने की सोच सकता है। वैसे वन्देभारत में अमृतभारत में समानता केवल दोनों सिरे पर लगे लोको या ट्रेनसेट होने की ही है और इससे ज्यादा कुछ नही।
आजकल ‘रेल इंफ्लुएंसर’ रेल गाड़ियोंकी प्रसिद्धि करनेवाले, यात्रिओंको प्रभावित कर उनका मतपरिवर्तन करने में स्वतः को सक्षम (?) समझने वाले लोग सोशल मिडिया में तैयार ही रहते है। फटाफट वन्देभारत और अमृतभारत एक्सप्रेस की तुलना करने में लग गए है। केवल ट्रेनसेट यही एक मानदण्ड समझना है, तो EMU या वातानुकूलित EMU उपनगरीय गाड़ियाँ या अभी अभी संक्रमण काल के बाद जिसका अविष्कार भारतीय रेल में लाया गया और सर्वसाधारण वर्ग के किफायती किराए वाली सवारी गाड़ियोंको हटाकर मेल/एक्सप्रेस के किरायोंमे थोपा गया, वह मेमू, डेमू गाड़ियाँ भी तो ट्रेनसेट ही है। 😊
वन्देभारत और अमृतभारत में तुलना करनेवालोंको बता दे, सबसे पहले, यात्रीगण, जो लंबी दूरी की रेल यात्रा करने के इच्छुक होते हैं, जिन्हें समय की ज्यादातर परवाह नहीं है, वे बस कम से कम ट्रेन में अपने पैर धरने के लिए पर्याप्त जगह चाहते हैं। वे बस, ट्रेन की दिशा का पता लगाते हैं और उसमें चढ़ जाते हैं। ये सभी द्वितीय श्रेणी, जनरल, साधारण श्रेणी के यात्री हैं। वे ट्रेन के नाम, उसके दर्जे और उसमें मिलने वाली सुविधाओंके, जो भारतीय रेलवे बताती है, दीनदयालु कोच में वाटर फ़िल्टर, अमृतभारत एक्सप्रेस में लगी डेस्क या कुशण्ड सीट्स के बारे में नहीं सोचते। वैसे जानकारी के लिए बता दें, आजकल शायद ही किसी दीनदयालु कोच में वाटर फिल्टर काम कर रहे होंगे और जै चलते भी होंगे, तो वहाँ तक कोच में भरी बेतहाशा भीड़ के चलते, बेचारा यात्री पहुंच ही नहीं पाता होगा।
वन्देभारत यात्रियों के लिए यह सब मामला अलग हो जाता है। वे संभ्रांत वर्ग के लोग हैं, जो अपनी सुख-सुविधा पर खर्च कर सकते हैं और यह भी अच्छी तरह से जानते हैं की अपने व्यवसाय, नौकरी या अन्य किसी चीज के लिए खर्च की गई राशि को कैसे पुनः प्राप्त किया जाए। अतः उनके लिए वन्देभारत के महंगे किराए कोई मायने नही रखते। उन्हें अपने यात्रा समय और यात्रा के दौरान मिलने वाली सेवाओं, सुविधाओं की ज्यादा चिन्ता रहती है।
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इसलिए अमृतभारत और वन्देभारत एक्सप्रेस गाड़ियों के बीच कोई तुलना नहीं है। अमृतभारत एक्सप्रेस तो बस एक नाम है, यह वही मेल/एक्सप्रेस गाड़ी है, जो फिलहाल द्वितीय श्रेणी के जनरल टिकट धारकों से भरी चल रही है।