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एक राष्ट्र – एक रेल तो एक श्रेणी – एक किराया क्यों नही?

20 अगस्त 2023, रविवार, निज श्रावण, शुक्ल पक्ष, चतुर्थी, विक्रम संवत 2080

भारतीय रेल हमारे देश की एकमात्र रेल सेवा है, नैशनल कैरियर है और रेल सेवा में इसका मुकाबला करने के लिए कोई दूसरा ऑपरेटर नही है। इतना होते हुए भी एक बात आज तक खटकती रही, रेल विभाग में एक श्रेणी एक किराया सूची क्यों नही है? सवारी, मेल/एक्सप्रेस, सुपरफास्ट यहाँतक के गाड़ियोंके प्रकार आम यात्रिओंके लिए ठीक है, मगर आजकल इतने विभिन्न प्रकार की गाड़ियाँ और उतनी ही विभिन्न प्रकार की उनकी टिकट किराया तालिकाएं।

एक तरफ वन नेशन वन राशन कार्ड, वन नेशन वन रैंक, समान कानून ऐसी योजनाओं पर काम चल रहा है या हो चुका है। मगर रेलवे के प्रत्येक रेल गाड़ी में श्रेणियाँ समान होते हुए भी उन्हें अलग गाड़ियाँ बनाकर, अलग किराया तालिका बनाकर वर्गीकरण कर दिया गया है।

उदाहरण देते है, वातानुकूल थ्री टियर के कितने प्रकार है, नियमित वातानुकूल थ्री टियर, गरीब रथ का वातानुकूल थ्री टियर, हमसफर का वातानुकूल थ्री टियर, दुरन्तो का, राजधानी का वातानुकूल थ्री टियर। अर्थात श्रेणी एक ही है, गाड़ियोंको वर्गीकृत कर एक ही श्रेणी का अलग अलग किराया लिया जाता है। गरीब रथ का किराया 500 किलोमीटर के लिये तकरीबन ₹500/-, नियमित वातानुकूल थ्री टियर का किराया ₹700/-, हमसफ़र का ₹800/- दुरन्तो, राजधानी गाड़ियोंका नियमित किरायोंपर डायनेमिक रेट ऐड किये जाते है जो नियमित किरायोंसे लगभग दुगने याने ₹1500/- हो सकते है। और भारतीय रेल की (अ)सुविधा नामक एक्सप्रेस चलती है, उसमें हवाई जहाज के किरायोंसे भी ज्यादा किराए होते है जो की शायद सुपर डायनेमिक गति से बढ़ते है। यही अवस्था स्लिपर, वातानुकूल टू टियर, कुर्सी यान आदि श्रेणियोंमे भी दिखाई देती है। वहां पे भी वातानुकूल कुर्सी यान को नियमित, वन्देभारत, गतिमान, शताब्दी, तेजस, जनशताब्दी इत्यादि गाड़ियोंमे वर्गीकृत किया गया है।

भारतीय रेल की किराया तालिका में साधारण मेल/एक्सप्रेस की पांच श्रेणियाँ होती है। द्वितीय साधारण (जनरल), स्लिपर, वातानुकूल थ्री, टु और प्रथम इसमे भी किरायोंका गुना गणित बढाने के लिए सुपरफास्ट चार्ज जुड़ता है, लीन सीज़न और पिक सीज़न यह अलग चार्जेस होते है। लीन सीज़न याने गाड़ियोंमें कम यात्रीभार का मौसम जो की पूरे वर्ष में केवल जुलाई से सितम्बर ऐसे तीन महीनोंका रहता है। बचे 9 महीने पिक सीज़न याने अक्टूबर से जून तक। उसमे भी लोकप्रिय (?) यात्री गाड़ियोंमें पिक सीज़न पूर्ण वर्ष रहेगा, जिसकी सूची किसी भी टिकट खिड़की पर उपलब्ध नही रहती ना ही कोई रेल कर्मी गिना सकता है, यह हकीकत है।

उसके बाद पराकाष्ठा देखिए, लगभग समान श्रेणियोंमे केवल गाड़ियोंके नाम और स्तर बदल कर के अलग अलग किराया तालिकाएं बना दी गयी है। दुरन्तो, राजधानी, शताब्दी, जनशताब्दी, महामना, हमसफ़र, अन्त्योदय, तेजस, वन्देभारत, गतिमान, युवा और गरीबरथ इन सभी गाड़ियोंमें अमूमन उपरोक्त दर्शाए गए पांचों वर्ग में से कोई न कोई श्रेणियाँ यात्री टिकट बुकिंग्ज के लिए उपलब्ध है मगर प्रत्येक गाड़ी की किराया तालिका भिन्न भिन्न प्रकार की है।

जानकार कहते है, इस तरह की भिन्न भिन्न किराया तालिकाएं यात्रिओंको न केवल सम्भ्रमित करती है अपितु किराए भी ज्यादा वसूलती है। केवल गरीबरथ एक गाड़ी है, जो नियमित वातानुकूल थ्री टियर किरायोंसे कम किराया तालिका प्रदान करती है।

देश के जनप्रतिनिधि यूँ तो अपने क्षेत्र की जनता के लिए, उनकी रेल सुविधाओंके लिए अक्सर रेल विभाग से उलझते नज़र आते है, मगर शायद ही किसी ने आजतक इस विषय को जन मंच पर छेड़ा है। क्या किसी भी समान श्रेणी के लिए समान किराया लगे यह नागरिक अधिकार श्रेणी में नही आता? या रेल विभाग अपने किराया न बढ़ाए जाने की भरपाई के लिए यह तरीका अपनाता है?

Photo courtesy : indiarailinfo.com

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